
बहराइच डेस्क। उत्तर प्रदेश ले बहराइच में बीते मंगलवार को जिले की साहित्यिक एवं सामाजिक संस्था कलाम फाउंडेशन ने किसान महाविद्यालय में भव्य कवि सम्मेलन के साथ होली मिलन का एक विशेष समारोह मनाया। इस अवसर पर विभिन्न अतिथियों की उपस्थिति ने समारोह की गरिमा को और बढ़ाया। समारोह का शुभारंभ फाउंडेशन के संरक्षक डॉ. मेजर एस. पी. सिंह, भारतीय जनता पार्टी के जिला महामंत्री राघवेंद्र प्रताप सिंह, और अन्य प्रमुख अतिथियों द्वारा माता सरस्वती के चित्र पर पुष्प अर्पित कर तथा दीप प्रज्ज्वलन कर किया गया।
कवि सम्मेलन के दौरान, जिले के साथ-साथ अन्य जनपदों से आए कवियों ने अपनी अनूठी रचनाओं के माध्यम से श्रोताओं का मन मोह लिया। सीतापुर जनपद के प्रसिद्ध गीतकार शेखर त्रिपाठी ने अपनी शानदार रचना “जिन्हें दाम प्यारे उन्हें दाम दे दो, मुझे राम प्यारे मुझे राम दे दो!” के माध्यम से सभी को भावविभोर कर दिया। वहीं, लखनऊ के लोकेश त्रिपाठी ने अपनी रचना “ये देश देश द्रोहियों के संग है नहीं…” से एक देशभक्ति का संदेश दिया, जो खासकर इस त्योहार के समय में महत्वपूर्ण है।

इसके अलावा, बाराबंकी जनपद से आए डॉ. ओम शर्मा “ओम” ने प्रेम और एकता का संदेश देने वाली रचना प्रस्तुत की, जिसमें उन्होंने नफ़रत की भावनाओं को जलाने की बात की। श्रावस्ती की कवित्री ऋचा मिश्रा “रोली” ने प्यार और खुशियों की बात की, तो बलरामपुर के देवेश मिश्र बलरामपुरी ने विवाह व मजाक के सच्चे रंग से जुड़ी रचना प्रस्तुत की।
बहराइच जिले के स्थानीय कवियों ने भी सम्मेलन में भाग लिया। योगेंद्र “योगी” की रचना ने श्रोताओं को बांध लिया, जबकि हास्य एवं व्यंग कवि पी.के. प्रचंड ने होली के रंगों की महिमा का बखान किया।
समारोह में कलाम फाउंडेशन के प्रदेश उपाध्यक्ष आकाश सिंह, जिला अध्यक्ष राम अचल माझी, और अन्य प्रमुख समाजसेवी भी उपस्थित रहे। उन सभी ने इस तरह के साहित्यिक आयोजनों के महत्व को रेखांकित किया, जो न केवल संस्कृति को संरक्षित करते हैं बल्कि समाज में सकारात्मकता भी लाते हैं।
अंत में, कलाम फाउंडेशन के संस्थापक अमर सिंह बिसेन एवं प्रदेश अध्यक्ष दिव्या पोरवाल ने सभी आगंतुकों और अतिथियों का आभार व्यक्त किया। उन्होंने इस प्रकार के आयोजनों को निरंतर जारी रखने की प्रतिबद्धता जताई, ताकि साहित्य के प्रेमी और समुदाय का सृजनात्मक पक्ष और भी विकसित हो सके। इस प्रकार, बहराइच में होली मिलन समारोह ने न केवल एकता और प्रेम का संदेश दिया, बल्कि सामुदायिक योगदान के माध्यम से साहित्य को सम्मानित करने का एक अनूठा अवसर प्रदान किया।
