सुरक्षित तरीके से रेस्क्यू किया गया मादा भेड़िया : डीएफओ 

वन विभाग के पिंजरे में कैद हुआ  पाँचवा आतंकी भेडिया

बहराइच डेस्क। प्रभागीय वनाधिकारी, बहराइच ने मंगलवार को बताया कि 09/10 सितम्बर 2024 की रात्रि में हिंसक भेड़िया द्वारा किसी प्रकार की कोई भी घटना कारित नहीं की गई है। बल्कि सेक्टर-01 अन्तर्गत वरिष्ठ अधिकारियों के दिशा निर्देशन में सिसैया चूड़ामणि के हरबक्शपुरवा के कछारी क्षेत्र में संचालित सर्च आपरेशन के दौरान 01 भेड़िया लोकेट किया गया। सर्च आपरेशन में लोकेट किये गये भेड़िया को रेस्क्यू करने हेतु प्रातःकाल में प्रारम्भ की गई कार्यवाही के दौरान क अदद उपद्रवी मादा भेड़िया को सुरक्षित रेस्क्यू कर लिया गया है।

डीएफओ ने बताया कि महसी तहसील अन्तर्गत घाघरा नदी के कछारी क्षेत्रों में उपद्रवी भेड़िया के सक्रियता प्रभावित क्षेत्र को निगरानी की दृष्टि से 03 सेक्टरों में बॉटकर नामित सेक्टर प्रभारियों की देख-रेख में रेस्क्यू टीमों द्वारा 04 थर्मल ड्रोनों के माध्यम संवेदनशील क्षेत्रों तथा ग्रामीणों द्वारा बताये गये स्थानों पर उपद्रवी भेड़िया को खोजने की कार्यवाही की जा रही है। इसके अलावा सक्रियता/संवेदनशील क्षेत्रों में कैमरा ट्रैप्स लगाकर तथा गश्ती दल द्वारा पैदल चलकर भेड़िया तथा उसके पगमार्क को खोजने का कार्य किया जा रहा है।

डीएफओ ने बताया कि प्रभावित क्षेत्रों में ग्रामवासियों की सुरक्षा हेतु निरन्तर जागरूकता अभियान संचालित कर गाँवों में पोस्टर व बैनर लगाकर संगोष्ठी/बैठकों के माध्यम से ग्रामवासियों को सुरक्षात्मक उपाय के साथ-साथ उन्हें घर में सुरक्षित सोने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। रेस्क्यू आपरेशन के सूचनाओं के त्वरित आदान प्रदान हेतु प्रभाग स्तर पर स्थापित कन्ट्रोल रूम द्वारा रेस्क्यू टीमों एवं गश्ती दलों से सूचनाएं प्राप्त कर वरिष्ठ अधिकारियों को प्रेषित करने तथा वरिष्ठ अधिकारियों से प्राप्त दिशा निर्देशों को सर्च आपरेशन में लगी टीमों तक पहुंचाने का कार्य कर रहे हैं। डीएफओ ने बताया कि गश्ती टीमों द्वारा अति संवेदनशील प्रभावित ग्रामों के बाहरी क्षेत्रों में पटाखों को दगाकर उपद्रवी भेड़िया के गाँवों में प्रवेश को रोकने की कार्यवाहियों की जा रही है।

बहराइच में “भेड़िया आतंक” ने स्थानीय लोगों के जीवन के हर पहलू पर गहरा प्रभाव डाला है। जब से भेड़िया की गतिविधियाँ बढ़ी हैं, गांवों में रहने वाले लोग भय और चिंता में जीने को मजबूर हो गए हैं। रात के समय बाहर निकलना एक चुनौती बन गया है, और खेतों में काम करने वाले ग्रामीणों की मानसिक स्थिति पर इसका गहरा असर पड़ा है।

भेड़िया के आतंक ने क्षेत्र में एक डरावना माहौल पैदा कर दिया है। बच्चे स्कूल जाने से कतराते हैं, और महिलाएं घर से बाहर निकलते समय सतर्क रहती हैं। इस आतंक ने न केवल लोगों की सुरक्षा भावना को कमजोर किया है, बल्कि सामाजिक संबंधों में भी दरार डाल दी है। लोग एक-दूसरे की मदद करने के बजाय केवल अपने घरों में बंद रहने को प्राथमिकता दे रहे हैं, जिससे लोगों में एकाकीपन बढ़ रहा है।

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