- जनपद में राष्ट्रीय पोषण माह का हुआ शुभारंभ
- 30 सितंबर तक मनाया जाएगा कार्यक्रम
- 16 नवनिर्मित आंगनबाड़ी भवनों का हुआ लोकार्पण
- जीवन बीमा से आच्छादित हुई आंगनबाड़ी कार्यकर्ता
- एनीमिक गर्भवती व कुपोषित बच्चों की होगी पहचान
बहराइच डेस्क। जनसमुदाय तक स्वास्थ्य, पोषण और स्वच्छता संबंधी जागरूकता फैलाने और महिलाओं व बच्चों के पोषण स्तर को सुधारने के उद्देश्य से इस वर्ष भी ‘राष्ट्रीय पोषण माह’ का शुभारंभ विकास भवन में किया गया। इस अवसर पर कार्यक्रम की मुख्य अतिथि सदर विधायक अनुपमा जायसवाल और एमएलसी डॉ. प्रज्ञा त्रिपाठी ने गर्भवती महिलाओं की गोद भराई और छः माह के बच्चों का अन्नप्राशन संस्कार किया। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा प्रदेश स्तर पर किए गए राष्ट्रीय पोषण माह के शुभारंभ का लाइव प्रसारण भी दिखाया गया।
इस दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वर्चुअल माध्यम से जिले के 16 नवनिर्मित आंगनबाड़ी भवनों का लोकार्पण किया। साथ ही, सभी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना और प्रधानमंत्री जीवन सुरक्षा योजना के तहत बीमित किया गया, जिसकी धनराशि डीबीटी के माध्यम से उनके खातों में भेजी गई। आंगनबाड़ी केंद्रों पर भोजन की पारदर्शिता और बेहतर क्रियान्वयन सुनिश्चित करने के लिए ‘बाल भोग’ पोर्टल भी लॉन्च किया गया। मुख्य अतिथि अनुपमा जायसवाल ने बताया कि 2018 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा राष्ट्रीय पोषण अभियान की शुरुआत की गई थी। इसका उद्देश्य कुपोषण की पहचान, इसके कारणों और रोकथाम के लिए जनजागरूकता फैलाना था। इसके तहत हर साल सितंबर में राष्ट्रीय पोषण माह और मार्च में ष्पोषण पखवाड़ाष् का आयोजन होता है।
जिला कार्यक्रम अधिकारी राजकपूर ने बताया कि इस वर्ष राष्ट्रीय पोषण माह की थीम सुपोषित भारत साक्षर भारत एवं सशक्त भारत राखी गयी है। जिसके तहत छह मुख्य गतिविधियों पर ध्यान दिया जाएगा, जिनमें एनीमिया, विकास निगरानी, ऊपरी आहार, पोषण भी, पढ़ाई भी, एक पेड़ माँ के नाम, और प्रौद्योगिकी का उपयोग शामिल हैं। इसके अंतर्गत गर्भवती महिलाओं और बच्चों का नियमित वजन और लंबाई मापी जाएगी। एनीमिक गर्भवती को आयरन-फोलिक एसिड की सलाह दी जाएगी, जबकि गंभीर एनीमिया की स्थिति में उन्हें स्वास्थ्य केंद्रों में रेफर किया जाएगा। कुपोषित बच्चों के आहार में सुधार और अति-कुपोषित बच्चों को विशेष देखभाल के लिए पोषण पुनर्वास केंद्र भेजा जाएगा।
सीडीपीओ अनिल पांडेय ने बताया कि जनपद में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता ‘पोषण ट्रैकर’ तकनीक का उपयोग कर बच्चों की वृद्धि और कुपोषण की निगरानी कर रहे हैं। इस तकनीक से कुपोषण की पहचान और बच्चों की विकास दर की रियल-टाइम निगरानी आसान हो गई है। एमएलसी डॉ. प्रज्ञा त्रिपाठी ने कहा कि ष्एक पेड़ माँ के नामष् पहल के तहत गर्भवती महिलाओं को पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ अपने स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए पेड़ लगाने के लिए प्रेरित किया जाएगा। सरकार की यह पहल मातृत्व और पर्यावरण संरक्षण को जोड़ते हुए एक सकारात्मक संदेश फैलाने का प्रयास है। कार्यक्रम में 11 आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को उनके बेहतर कार्य के लिए प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर जिला विकास अधिकारी, परियोजना निदेशक, पिरामल फाउंडेशन के प्रतिनिधि और अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।